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Jaspal Kaur Public School  | 2020-21                                             67



                               बौद्धधक-पवमशश (त ज  घटन चक्र)
                                               व द-पवव द

                                                                                           ै
              सदन क  प्रश्न- “चीनी उत्प दों क  बदहष्क र उधचत ह?”
                                                  पवपक्ष


                                                    िं
   आपने समाचार पत्र, िीवी या सोवल निवककग साइि पर यह खबर तो सुनी होगी कक
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   भारत की लद्िाख सीमा पर चीन क साथ माहौल शांततपूणद नहीं ह। चीन सरकार हधथयार
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   और गोला-बाऱूि पाककस्तान को ि कर आतक को बढ़ावा ि रही ह। इससलए सोशल
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   निवककग साइि पर चीनी उत्पािों क बदहष्कार कक खबरें तूल पकड़ रही हैं। अगर इस बात
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   की तह तक िखें और सोचें तो आपको ज्ञात होगा कक  हमार द्वारा चीन क उत्पािों का
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                                                                                         े
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   इस्तेमाल न करने से चीन को कोई फक नहीं पड़ेगा।  आइए क ु छ तथ्य िानें :  कसे
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                                                                                                 ै
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   होगा नुकसानचीन क साथ भारत का ट्रि िेकफससि (व्यापार घािा) वपछले साल बढ़कर
   46.56 अरब िॉलर पर पहँच गया ह।  2016 में चीन न 58.33 अरब िॉलर मूल्य क                            े
                                                                   े
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   प्रॉिक्ट्स का तनयादत भारत में ककया।  2015 क मुकाबल 2016 में चीन से होने वाले
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   एक्सपोि में महि 0.2 फीसिी की बढ़ोतरी ििद की गई। 2015 में चीन स 58.25 अरब
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   िॉलर क प्रॉिक्ट्स का इपोि ककया गया था।  वहीं भारत से चीन को होने वाला एक्सपोि
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   2015 में 12 फीसिी घिकर 11.76 अरब िॉलर रहा ह।  ऐस में अगर चीन स प्रॉिक्ट्स
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   का आयात बंि ककया िाता ह तो चाइनीि इपोि पर कहीं ज्यािा तनभदरता क कारण भारत
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   को नुकसान झेलना पड़ सकता ह। अध्यक्ष महोिय, यदि हम अपनी िीवन शैली को िखें
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    तो हमार घर में एक सुई स लकर बड़ी मशीनों तक िैस िीवी, किि, कम्लयूिर,
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                                                                    े
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    स्मॉट्फ़ोन सभी चीिें चायनीज़ ब्ांि की होती हैं।  इन सभी चीिों का भारतीय ब्ांि या
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    तो ह ही नहीं, अगर ह भी तो भी उसक अन्िर लग हए कल-पुज़े चाइना से लाए िाते
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    हैं। साधथयों, हमार उद्योग की चरमराती अवस्था ककसी से तछपी नहीं ह। ‘मेक इन
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     ं
    इडिया’ िैसे प्रोिेक्ट्स की ववफलता भी िगिादहर ह। व्यावसातयक सशक्षा का अभाव हमे
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    चीन िैस िशों पर तनभदर बनाता ह। अत में मैं यह ज़ोर िकर कहना चाहती हँ कक बाहरी
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    शजक्तयों स लड़न स पूवद हमें अपनी भीतरी
    कमिोररयों से लड़ना होगा, तभी हम एक
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                                ँ
    दिन आत्मतनभदर बन पाएग, तब तक चीनी
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    उत्पािों क आयात को रोकना तक संगत नहीं
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     ह।
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                       हरनूर कौरिसवी- ब
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