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Jaspal Kaur Public School | 2020-21 66
बौद्धधक-पवमशश (त ज घटन चक्र)
व द-पवव द
सदन क प्रश्न- “चीनी उत्प दों क बदहष्क र उधचत ह?”
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पक्ष
हम रोज़ खबरों में सुनते हैं कक भारत को चीनी उत्पािों की त्रबिी का बदहष्कार करना
चादहए। मैं सिन में प्रस्तुत ववषय से पूणदतः सहमत हँ । हाल ही क े भाषण में हमार े
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प्रधानमंत्री ने हम सभी से आत्मतनभदर होने की बात कही थी। यहाँ आत्मतनभदर का अथद
है- अपना पालन-पोषण करने की क्षमता का ववकास। इस क्षमता का ववकास तभी हो
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पाएगा िब हम अपनी शजक्तयों और खासमयों की पहचान कर लग। िोस्तों, आपको यह
िानकार खुशी होगी कक आि का आधुतनक भारत अपनी िनसंख्या क े अनुपात में खाद्य
आपूततद कर सकता ह। कपड़ा, चाय, कॉफी, सेब,आयुवेदिक िवाए आदि वस्तुओ का
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तनयादत सम्पूणद वववव में करता हैं। हमार आध्यात्म और योग का लोहा पूरी िुतनया मान
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चुकी ह। यदि हम क ु िीर उद्योग, लघु उद्योग, हस्तकला आदि को प्रोत्सादहत करें तो
चीन पर हमारी तनभदरता कम हो सकती ह। स्क ू ल ,कॉलेि में व्यावसातयक सशक्षा को
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बढ़ावा िकर भी हम इस लक्ष्य को प्रालत कर सकते हैं। ‘मेक इन इडिया’ इसी कड़ी में
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ककया गया प्रयास ह। ‘स्वतनसमदत’ व ‘स्विशी’ पर बल िकर ही हम एक आत्मतनभदर
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भारत का तनमादण कर सकते हैं। वविशी सत्ता को मात िने क े सलए भी राष्ट्रवपता महात्मा
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गाँधी िी ने स्विशी का आह्वान ककया था। चीनी उत्पािों क े बदहष्कार से हम एक तरफ
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अपनी अथदव्यवस्था को मिबूत करेंग, वहीं िूसरी तरफ रोज़गार क े नए अवसर उत्पन्न
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कर पाएग। महोिय, अगर हम चीन क े उत्पािों की बात करें तो उनकी गुणवत्ता भी
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संतोषिनक नहीं होती । आि क े समय में िखा िाए तो भारत क े चीन क े साथ सम्बंध
भी अच्छ नहीं हैं , इस कारण से इस आिोलन को और बढ़ावा समल रहा ह। इस
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आिोलन का नाम भारतीय लोगों ने ‘भारतीय सामान, हमारा असभमान’ दिया है । अत
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में मैं ज़ोर िकर कहना चाहँगी कक हमें आि से ही भारत को आत्मतनभदर और चीनी
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उत्पािों से मुक्त करने का प्रण लेना चादहए । धन्यवाि ।
-सुननधध ग वर
10 – A