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Jaspal Kaur Public School | 2020-21 61
िसपाल कौर पजब्लक स्क ू ल
असभव्यजक्त
दहंिी-ववभाग
ई-पत्रत्रका
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जिसक दहस्स में रात आई ह ै
यकीनन उसक दहस्स में चाँि भी होगा।
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िब अधरा बहत घना हो तो एक िुगनू भी हौसला बनाए-बचाए रखन में तनणादयक
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भूसमका तनभाता ह। मानव-सभ्यता क इस सकि काल में हमें अपन भीतर क उस
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सारथी को ढूँढना ह, िो इस अधर क बीच सही रास्ता चुन सक। कोसशश की इस
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कड़ी में िूबते िाईितनक क उन सगीतकारों की तरह हम अपन ई-मैगज़ीन में
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‘असभव्यजक्त’ नाम से दहंिी की ई- पत्रत्रका लाए हैं, ताकक इस समय का अवसाि हमार
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विूि पर भारी न पड़े। इस कदठन समय में सकारात्मक और रचनात्मक रवैय से ही
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उस पार पहँचा िा सकता ह : “पहँचना होगा िुगदम पहाड़ों क उस पार / तब कहीं
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िखने समलगी हमको / नीली झील की लहरीली थाहें / जिसमें कक प्रततपल काँपता
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रहता / अरुण कमल एक।” (‘अधर में’ -मुजक्तबोध)
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हम उम्मीि करते हैं कक हमारी य छोिी सी कोसशश इस अधरी रात में आपक सलए
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िुगनू की तरह चमकगी और कफर स उिाला होगा इस पर ववववास िगाएगी। अपने
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घरों में छोि-छोि पलों की मशाल िलाईए और खुसशयों की मोमबत्ती से इस अधेर
समय में उिाला लाइए।
- मनीषा अरोड़ा
- ववभागाध्यक्ष
- दहंिी
सकारात्मक सोच की समसाल
वीडियो का सलंक