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Jaspal Kaur Public School | 2020-21
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इन्ह िं ग़म की घट ओ स खुशी क च ाँद ननकलग
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अधर र त क पदे में ददन की रोशनी भी ह।“
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िोस्तों, यह कहानी का अत नहीं हैं, यह तो बस ट्रलर था, कहानी तो अब आरभ
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होगी। इस कहानी क तीन मुख्य पात्र हैं- सशक्षक, ववद्याथी और असभभावक। अग्रिी
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में कहते हैं न “वंस अ िीचर, ऑल्वेज़ अ िीचर”। कभी-कभी तो घरवालों क साथ भी
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हम िीचर कक तरह ही पश आते हैं। शायि पशे का व्यजक्तत्व में इस किर उतर िाना
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ही सशक्षण को नोबल प्रोफ़शन का ििाद िता ह। इसी कड़ी स िुड़ती ह हमारी वह
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बेचैनी िो अपने ववद्याधथदयों क वतदमान और भववष्य क प्रतत हम महसूस कर रह थ।
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इस अधर समय में हमें ज्ञान की मशाल िलानी थी। यह तो िानते थ कक क्या
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करना ह, पर कसे करने ह, यह नहीं पता था। इसी समस्या को ध्यान में रखते हए
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स्क ू ल-प्रशासन ने िीचर-ट्रतनंग प्रोग्राम शुऱू ककया। पीपीिी कसे बनाए, ज़ूम, वेबएक्स,
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माइिोसॉफ़्ि िैसे ऐप का इस्तेमाल करना, ऑनलाइन क्लासऱूम मैनेिमेंि स लकर
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डिससजललन इशूज़ और को-करीक ु लर एजक्िवविीज़ को बढ़ावा िन तक की तकनीकों से
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हमारा पररचय करवाया गया। सुबह सशक्षक क ऱूप में ससखाना और शाम को प्रसशक्षण
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कायदिमों में ववद्याथी की तरह सवाल करना, रात-रात भर बैठकर प्रसशक्षण क िास्क
को पूरा करना, सब साथ-साथ चल रहा था।
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दोस्ोों इस समय एक शिक्षक तीन तरफ़ा मोर्च पर जझ रहा था। एक तरफ़ सीखन की प्रशिया जारी
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थी, दसरी तरफ शिद्याशथयोों को इस आपदा क समय म लड़न और जझन क गण शसखान थ और
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तीसरी तरफ़ थ हमार अपन पररिार, घर क बजग, बच्च, इन सब क खान-पान की तयारी स लकर
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झाड़ लगान तक की शजम्मिारी हमार ही कधोों पर थी।
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“गज़दिी की हर तगिश को मस्कराकर दखो
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िि गकतनी भी हो, समदर सखा नहीिं करत”
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