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Jaspal Kaur Public School | 2020-21 69
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बौद्धधक ववमशद- तक क आईन में
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रगभि की नीतत
इततहास
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त्वचा क रग क आधार पर भिभाव को रगभि क ऱूप में िाना िाता ह। अफ्रीकी भाषा
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में ‘रगभेि’ या ‘अपथादइि’ का शाजब्िक अथद ‘अलगाव’ या ‘पृथकता’ से ह। आमतौर पर
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यह अलगाव एक ही िातत क सिस्यों स पूवादग्रह या भिभाव का एक ऱूप ह जिसमें
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लोगों स उनकी त्वचा क रग स िुड़े सांस्क ृ ततक अथों क सामाजिक तनदहताथो क
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आधार पर अलग तरह से व्यवहार ककया िाता ह।
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रगवाि लोगों क खखलाफ भिभाव का एक तरीका ह जिसमें लोगों को त्वचा क रग क
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आधार पर बाँि दिया िाता ह | इसमें एक हल्क रग क व्यजक्त को ककसी गहर रग क
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व्यजक्त क मुकाबल अधधक सुिर या मूल्यवान माना िाता है। उिाहरण क सलय यदि
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आप एक ही नौकरी क सलए िो समान ऱूप से योग्य आवेिकों क साक्षात्कार कर रह
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हों, जिसमें एक ववत और िूसरा अववत हो और आपन ववत व्यजक्त को नौकरी िने का
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फसला ककया तो यह रगभेि कहलाएगा। यहाँ हल्क रग वाले को उच्च जस्थतत का
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बताया गया ह और गहर रग वाले को तनम्न जस्थतत का। १९४८ क बाि िक्षक्षण अफ्रीका
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में हए चुनावों में नशनल पािी न िीत हाससल की और प्रधानमत्री श्री िी.एफ़. मलन क
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नतृत्व में अववतों क खखलाफ और ववतों क पक्ष में रगभि की नीततयों को कानूनी
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िामा पहना दिया गया। इसक बाि रगभेि अगली आधी सिी तक िक्षक्षण अफ्रीका क
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रािनीततक, सामाजिक तथा आधथदक िीवन पर छाया रहा। इस रगभेि-नीतत क चलते
अववत लोगों को बहत-सी कदठनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्हें ककसी भी
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सावदितनक स्थल पर िान की अनुमतत नहीं थी। उनक रहन क सलए अलग स्थान थे
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तथा साथ ही ससनेमा हॉल, होिल, बसों आदि स्थलों पर भी बैठने की व्यवस्था अत में
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की िाती थी। अववेत लोगों को कहीं भी आने-िाने की आज़ािी नहीं थी और उनक
साथ अछ ू त िैसा व्यवहार ककया िाता था।
नौकररयों में भी ववत लोगों को प्राथसमकता िी िाती थी। इन सब कारणों से अववेतों
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क अिर बहत अधधक रोष उत्पन्न हो गया। व अब इस तरह का िीवन नहीं िीना
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चाहते थ। उनक क ु छ नताओ न समल कर इसक खखलाफ़ लड़न का सोचा और उनक
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सलए एक पािी का गठन ककया गया। इस लड़ाई में सबस महत्वपूणद भूसमका श्री नेल्सन
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मंिेला ने तनभाई।
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उन्होंने आज़ािी पाने क सलए अपने िीवन क २७ वषद
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िल में त्रबताए और अत में १९९२ में अफ्रीकन नेशनल
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कांग्रस ने िीत हाससल की। वे अफ्रीका क पहले
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अववेत राष्ट्रपतत बने और उन्होंने रगभेि-नीतत का अत
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कर एक समान राष्ट्र का तनमादण ककया।
- रीना-10A